आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "majma-e-aam"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "majma-e-aam"
ग़ज़ल
डूबने जाएगा शायद कोई मायूस विसाल
मजमा-ए-आम सुना है लब-ए-साहिल होगा
मिर्ज़ा अल्ताफ़ हुसैन आलिम लखनवी
ग़ज़ल
कहूँ हसरतों का हुजूम क्या दर-ए-दिल तक आ के वो बेवफ़ा
मुझे ये सुना के पलट गया कि यहाँ तो मजमा-ए-आम है
साक़िब लखनवी
ग़ज़ल
ऐ दिल वालो घर से निकलो देता दावत-ए-आम है चाँद
शहरों शहरों क़रियों क़रियों वहशत का पैग़ाम है चाँद
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
देखा गया न मुझ से मआनी का क़त्ल-ए-आम
चुप-चाप मैं ही लफ़्ज़ों के लश्कर से कट गया
फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी
ग़ज़ल
मुजतमा आज हैं यारान-ए-सर-ए-पुल सारे
ख़ल्वत-ए-ख़ास में है मजमा-ए-आम-ए-मख़्सूस
पंडित जवाहर नाथ साक़ी
ग़ज़ल
मजमा-ए-बैत-उल-हरम की धूम सुनते थे मगर
जा के जब देखा तो उन में कोई फ़रज़ाना न था
मुज़्तर ख़ैराबादी
ग़ज़ल
आड़ी सीधी पड़ती हैं नज़रें तुम्हीं पर आज तो
मजमा-ए-तार-ए-नज़र क्या बद्धियाँ हो जाएगा