आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "male"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "male"
ग़ज़ल
क़ल्ब ओ निगाह की ये ईद उफ़ ये मआल-ए-क़ुर्ब-ओ-दीद
चर्ख़ की गर्दिशें तुझे मुझ से छुपा के रह गईं
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
समझती हैं मआल-ए-गुल मगर क्या ज़ोर-ए-फ़ितरत है
सहर होते ही कलियों को तबस्सुम आ ही जाता है