आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "mano.n"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "mano.n"
ग़ज़ल
खानों से मनों ग़म के भी सेरी नहीं होती
क्या मुझ को खिला दी कहीं इक्सीर किसी ने
ज़ैनुल आब्दीन ख़ाँ आरिफ़
ग़ज़ल
इक लहू की बूँद थी लेकिन कई आँखों में थी
एक हर्फ़-ए-मो'तबर था और कई मा'नों में था
सिद्दीक़ मुजीबी
ग़ज़ल
ये इक सूरत है गर खींचे वो मेरे यार का नक़्शा
मैं कब मअ'नों हूँ यूँ मानी लिखे गर लाख तस्वीरें
क़ाएम चाँदपुरी
ग़ज़ल
हिज्र के मा'नों में इक मा'नी मैं बतलाऊँ तुम्हें
या'नी दरिया से अलग हो के किनारा जाए
रहबर सुलतानी
ग़ज़ल
अब इस को कुफ़्र मानें या बुलंदी-ए-नज़र जानें
ख़ुदा-ए-दो-जहाँ को दे के हम इंसान लेते हैं
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
ख़िरद-मंदों से क्या पूछूँ कि मेरी इब्तिदा क्या है
कि मैं इस फ़िक्र में रहता हूँ मेरी इंतिहा क्या है