आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "manvaa"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "manvaa"
ग़ज़ल
सदाक़त हो तो दिल सीनों से खिंचने लगते हैं वाइ'ज़
हक़ीक़त ख़ुद को मनवा लेती है मानी नहीं जाती
जिगर मुरादाबादी
ग़ज़ल
वहदत-ए-इंसाँ अपने को शाइ'र से मनवा लेती है
क्या अनजाने क्या बेगाने सब जाने-पहचाने हैं
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
कुछ तो बता दो कौन है जो तेरे मनवा को लूट गया
किस की ख़ातिर तो मअ'बद में दीप जलाने जाती है
नासिर शहज़ाद
ग़ज़ल
जनाब अब ज़ेर-ए-आब आराम से देखें अछूते ख़्वाब
जो इन मटमैली आँखों से तो हक़ मनवा नहीं पाए
इदरीस बाबर
ग़ज़ल
हक़ीक़त ख़ुद को मनवा ले ज़बान-ए-बे-ज़बानी से
ख़ुद उन का दिल निगाहों से जो शरमाए तो अच्छा हो
ज़हीर अहमद ताज
ग़ज़ल
भाग सके तो भाग ले मनवा नाख़ुनों वाली बस्ती से
कैसे निभेगी इस जंगल में ये चीते हम आहू लोग
अली अकबर नातिक़
ग़ज़ल
दुख की अग्नी में आशाएँ कब की जल कर राख हुईं
पागल मनवा फिर भी बैठा सुख की बीन बजाता है