आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "marG-zaar"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "marG-zaar"
ग़ज़ल
गुलज़ार मर्ग़-ज़ार में और सब्ज़ा-ज़ार में
नद्दी रवाँ नसीम के जूद ओ सख़ा की है
रसूल जहाँ बेगम मख़फ़ी बदायूनी
ग़ज़ल
वो मर्ग़-ज़ार कि बीम-ए-ख़िज़ाँ नहीं जिस में
ग़मीं न हो कि तिरे आशियाँ से दूर नहीं
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
वतन को कुछ नहीं ख़तरा निज़ाम-ए-ज़र है ख़तरे में
हक़ीक़त में जो रहज़न है वही रहबर है ख़तरे में
हबीब जालिब
ग़ज़ल
नशात-ए-फ़त्ह से तो दामन-ए-दिल भर नहीं पाए
मगर क्यूँ हारने वाले मोहब्बत कर नहीं पाए
ग़ुलाम हुसैन साजिद
ग़ज़ल
मर्द-ए-दरवेश का सरमाया है आज़ादी ओ मर्ग
है किसी और की ख़ातिर ये निसाब-ए-ज़र-ओ-सीम