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ग़ज़ल
नुसरत अतीक़ गोरखपुर
ग़ज़ल
ख़ुदा जाने नवा-ए-बे-फ़ुग़ाँ से कौन गुज़रा है
ब-ख़ामोशी हमारी दास्ताँ से कौन गुज़रा है
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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ख़ुदा जाने नवा-ए-बे-फ़ुग़ाँ से कौन गुज़रा है
ब-ख़ामोशी हमारी दास्ताँ से कौन गुज़रा है