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ग़ज़ल
कह डाले ग़ज़लों नज़्मों में अफ़्साने क्या क्या
दिल में फिर भी धड़कता रहता है जाने क्या क्या
अहमद मासूम
ग़ज़ल
कोई दिल में आ बैठा और चुटकी ली अरमानों में
रात अजब मंज़र देखा जब चाँद खिला मैदानों में
फ़रहान हनीफ़ वारसी
ग़ज़ल
संग किसी के चलते जाएँ ध्यान किसी का रक्खें
हम वो मुसाफ़िर साथ अपने सामान किसी का रक्खें
ज़करिय़ा शाज़
ग़ज़ल
यहाँ वहाँ कुछ लफ़्ज़ हैं मेरे नज़्में ग़ज़लें तेरी हैं
रंग धनक ये महका बादल सब तस्वीरें तेरी हैं
सलीम मुहीउद्दीन
ग़ज़ल
दानिश अज़ीज़
ग़ज़ल
अंकित मौर्या
ग़ज़ल
औने-पौने ग़ज़लें बेचीं नज़्मों का व्यापार किया
देखो हम ने पेट की ख़ातिर क्या क्या कारोबार किया
महमूद शाम
ग़ज़ल
मुद्दत हुई उस जान-ए-हया ने हम से ये इक़रार किया
जितने भी बदनाम हुए हम उतना उस ने प्यार किया