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ग़ज़ल
मेरा साँस उखड़ते ही सब बैन करेंगे रोएँगे
या'नी मेरे बा'द भी या'नी साँस लिए जाते होंगे
जौन एलिया
ग़ज़ल
ये मिसरा लिख दिया किस शोख़ ने मेहराब-ए-मस्जिद पर
ये नादाँ गिर गए सज्दों में जब वक़्त-ए-क़याम आया
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
नस्ब करें मेहराब-ए-तमन्ना दीदा ओ दिल को फ़र्श करें
सुनते हैं वो कू-ए-वफ़ा में आज करेंगे नुज़ूल मियाँ
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
वो तिरे जिस्म की क़ौसें हों कि मेहराब-ए-हरम
हर हक़ीक़त में मिला ख़म तिरी अंगड़ाई का
अहमद नदीम क़ासमी
ग़ज़ल
न मेहराब-ए-हरम समझे न जाने ताक़-ए-बुत-ख़ाना
जहाँ देखी तजल्ली हो गया क़ुर्बान परवाना
बेदम शाह वारसी
ग़ज़ल
दिल की मेहराब में इक शम्अ जली थी सर-ए-शाम
सुब्ह-दम मातम-ए-अरबाब-ए-वफ़ा होता है