aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "mehshar afridi"
मेरी तासीर तेरा जादू भीआज़माना है अब ये पहलू भी
जैसे मसली हुई सी चादर केशल निकलते नहीं मुक़द्दर के
हर तकल्लुफ़ बिला-ज़रूरत हैसच कहूँ आप से मोहब्बत है
अपने ख़ाली-पन को भरना छोड़ दियातन्हाई से बिल्कुल डरना छोड़ दिया
जिस्म फूलों के गठीले हो गएनर्म लहजे भी नुकीले हो गए
ये सोचता हूँ चराग़ों का एहतिमाम करूँहवा को भूक लगी है कुछ इंतिज़ाम करूँ
बग़ैर उस को बताए निभाना पड़ता हैये 'इश्क़ राज़ है इस को छुपाना पड़ता है
अना का बोझ कभी जिस्म से उतार के देखमुझे ज़बाँ से नहीं रूह से पुकार के देख
तेरे ख़ामोश तकल्लुम का सहारा हो जाऊँतेरा अंदाज़ बदल दूँ तिरा लहजा हो जाऊँ
मरज़ के वास्ते इतनी दवा ज़ियादा हैमिरे सवाल से तेरी अता ज़ियादा है
लब-ए-साहिल समुंदर की फ़रावानी से मर जाऊँमुझे वो प्यास है शायद कि मैं पानी से मर जाऊँ
मोहब्बत के नशे में चूर हैं हमहर इक ग़म की पहुँच से दूर हैं हम
सब्र के फल अब रसीले हो गएअब तुम्हारे ग़म नशीले हो गए
दिमाग़ अपनी जगह से हट रहा हैमगर ये दिल अभी तक डट रहा है
ख़ुद अपनी खाल से नाख़ुन जुदा किया गया थावो मुझ को याद था क़स्दन भुला दिया गया था
गवाही देने लगा था मिरे ख़िलाफ़ बदननशे में छू न सका मैं वो पाक-साफ़ बदन
तुम्हें क्या शय छुपानी पड़ गई हैलबों पर क्या निशानी पड़ गई है
नशे की आग में देखा गुलाब या'नी तूबदन के जाम में देसी शराब या'नी तू
इतना मजबूर न कर बात बनाने लग जाएँहम तिरे सर की क़सम झूट ही खाने लग जाएँ
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