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ग़ज़ल
करिश्मे हुस्न के सूरज सितारे फूल ज़ाहिर हैं
मगर मैं किस तरफ़ देखूँ मिसाल-ए-यार से पहले
नीलमा नाहीद दुर्रानी
ग़ज़ल
बचपन के इस घर के सारे कमरे मालिया-मेट हुए
जिस में हम खेला करते थे वो दालान अभी बाक़ी है