आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "mithaa.ii"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "mithaa.ii"
ग़ज़ल
आमिर अमीर
ग़ज़ल
क्या ज़ौक़-ए-इबादत हो उन को जो बस के लबों के शैदा हैं
हलवा-ए-बहिश्ती एक तरफ़ होटल की मिठाई एक तरफ़
अकबर इलाहाबादी
ग़ज़ल
उलझ कर रंग-ओ-बू में इश्क़ की मासूम सी बच्ची
मिठाई की दुकानों में जलेबी थाम लेती है
ताैफ़ीक़ साग़र
ग़ज़ल
मीठी मीठी छेड़ कर बातें निराली प्यार की
ज़िक्र दुश्मन का वो बातों में उड़ाना याद है