aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
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इक लड़का था इक लड़की थीआगे अल्लाह की मर्ज़ी थी
ख़्वाब में एक मकाँ देखा थाफिर न खिड़की थी न दरवाज़ा था
इक लड़का था इक लड़की थीआगे अल्लह की मर्ज़ी थी
इक सितारे ने आँख मारी हैदूसरे ने नज़र उतारी है
एक सुनसान रस्ते पे चलते हुएयाद आई तिरी शाम ढलते हुए
हर इक झोंका नुकीला हो गया हैफ़ज़ा का रंग नीला हो गया है
इक इक कर के सब जाते हैंक्या जाने हम कब जाते हैं
दिन इक के बा'द एक गुज़रते हुए भी देखइक दिन तू अपने आप को मरते हुए भी देख
आया है एक शख़्स अजब आन-बान कानक़्शा बदल गया है पुराने मकान का
यार आज मैं ने भी इक कमाल करना हैजिस्म से निकलना है जी बहाल करना है
'अजब नहीं कि फिर इक बार मैं बदल जाऊँज़मीं से दूर कहीं और ही निकल जाऊँ
सच है कि वो बुरा था हर इक से लड़ा कियालेकिन उसे ज़लील किया ये बुरा किया
और बाज़ार से क्या ले जाऊँपहली बारिश का मज़ा ले जाऊँ
तिरा फ़िराक़ भी क़ुर्बत भी एक मसअला हैहमारे साथ मोहब्बत भी एक मसअला है
काम कुछ ऐसा आन पड़ा हैख़तरे में ईमान पड़ा है
'वहशत'-ए-मुब्तला ख़ुदा के लिएजान देता है क्यूँ वफ़ा के लिए
कुछ तो इस दिल को सज़ा दी जाएउस की तस्वीर हटा दी जाए
वही मोहल्ला वही पुराना घर था वहाँदरवाज़े पर लेकिन और ही नाम मिला
हर गुज़रता पल नया इक मसअला देता गयाहर गुज़रता दिन नए ग़म का पता देता गया
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