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ग़ज़ल
ख़ुदी हो इल्म से मोहकम तो ग़ैरत-ए-जिब्रील
अगर हो इश्क़ से मोहकम तो सूर-ए-इस्राफ़ील
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
अमजद इस्लाम अमजद
ग़ज़ल
अपनी दुनिया ख़ुद ब-फ़ैज़-ए-ग़म बना सकता हूँ मैं
इक जहान-ए-शौक़-ए-ना-मोहकम बना सकता हूँ मैं
नुशूर वाहिदी
ग़ज़ल
हफ़ीज़ होशियारपुरी
ग़ज़ल
तुम्हारे पाँव तो दो-गाम चल कर लड़खड़ाते हैं
हमारे अज़्म-ए-मोहकम में कभी लग़्ज़िश नहीं होती
सय्यद आरिफ़ अली
ग़ज़ल
आरज़ू लखनवी
ग़ज़ल
अगर यूँ है तो क्यूँ है यूँ नहीं तो क्यूँ नहीं आख़िर
यक़ीं मोहकम है लेकिन ज़िद की हैरानी नहीं जाती
अली सरदार जाफ़री
ग़ज़ल
अगर यूँ है तो क्यूँ है यूँ नहीं तो क्यूँ नहीं आख़िर
यक़ीं मोहकम है लेकिन दिल की हैरानी नहीं जाती
अली सरदार जाफ़री
ग़ज़ल
अबुल मुजाहिद ज़ाहिद
ग़ज़ल
तवज्जोह की नज़र मेरी तरफ़ कम होती जाती है
मैं ख़ुश हूँ इश्क़ की बुनियाद मोहकम होती जाती है
आनंद नारायण मुल्ला
ग़ज़ल
जब तक हम हैं मुमकिन ही नहीं ना-महरम महरम हो जाएँ
आता है उन्हें ग़ुस्सा आए होते हैं वो बरहम हो जाएँ
शाद आरफ़ी
ग़ज़ल
है रिश्ता-ए-दुज़्दीदा-निगाही भी अजब शय
क़ाएम ये हवा पर भी है मोहकम भी बहुत है