आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "mujtahid"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "mujtahid"
ग़ज़ल
कर दिया मुज्तहिद-ए-वक़्त को क़ातिल झट-पट
हम ने मस्जिद में कल ऐसे ही क़यामत की बहस
इंशा अल्लाह ख़ान इंशा
ग़ज़ल
न फ़लसफ़ी न मुफ़क्किर न मुज्तहिद न ख़तीब
'वफ़ा' ये कुछ भी नहीं हूँ मगर वफ़ा हूँ मैं
वफ़ा मलिकपुरी
ग़ज़ल
'सेहर' तो मुज्तहिद है ख़ुद क्यूँ हो मुक़ल्लिद और का
बहर ओ रदीफ़ ओ क़ाफ़िया है फ़न्न-ए-शाइरी अदक़
सेहर इश्क़ाबादी
ग़ज़ल
सोच पर पहरे 'हिदायत' हों तो क्या हो इर्तिक़ा
मुज्तहिद भी बन गया है ख़ोशा-चीं तक़लीद का
हिदायतुल्लाह
ग़ज़ल
न मुज्तहिद है न सूफ़ी मगर तिरा 'मंज़ूर'
अज़ीज़-तर है जहाँ की निगाह में ऐ दोस्त
मंज़ूर अहमद मंज़ूर
ग़ज़ल
चैन से रहने न दे इन को न ख़ुद आराम कर
मुस्तइद हैं जो ख़िलाफ़त को मिटाने के लिए
सय्यद सादिक़ हुसैन
ग़ज़ल
नई सुब्ह चाहते हैं नई शाम चाहते हैं
जो ये रोज़ ओ शब बदल दे वो निज़ाम चाहते हैं
अबुल मुजाहिद ज़ाहिद
ग़ज़ल
हम बनाएँगे यहाँ 'साग़र' नई तस्वीर-ए-शौक़
हम तख़य्युल के मुजद्दिद हम तसव्वुर के इमाम
साग़र सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
नहीं था मुस्तहिक़ 'मख़मूर' रिंदों के सिवा कोई
न होते हम तो फिर लबरेज़ पैमाने कहाँ जाते