आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "munkir-e-but"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "munkir-e-but"
ग़ज़ल
मिरे हाथ आ गया 'परवीं' अदू के नाम का ख़त था
गिरा था रह में जो दस्त-ए-बुत-ए-बे-पीर से काग़ज़
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
हट जाए इक तरफ़ बुत-ए-काफ़िर की राह से
दे कोई जल्द दौड़ के महशर को इत्तिलाअ
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
मज़ा क्या उस बुत-ए-बे-पीर से दिल के लगाने का
जो ख़ल्वत में हो बुत महफ़िल में हो तस्वीर की सूरत
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
हुस्न के बाब में 'अकबर' की सनद काफ़ी है
हम भी हर इक बुत-ए-कमसिन को परी कहते हैं
आल-ए-अहमद सुरूर
ग़ज़ल
कब से हूँ मुनकिर-ए-गुल्बाँग-ए-मलाएक फिर भी
दिल पे जिबरील की दस्तक का गुमाँ है अब तक
जोश मलीहाबादी
ग़ज़ल
बज़्म-ए-आलम में सदा हम भी नहीं तुम भी नहीं
मुंकिर-ए-रोज़-ए-जज़ा तुम भी नहीं हम भी नहीं
ग़नी एजाज़
ग़ज़ल
बज़्म-ए-आलम में सदा हम भी नहीं तुम भी नहीं
मुंकिर-ए-रोज़-ए-जज़ा हम भी नहीं तुम भी नहीं