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ग़ज़ल
दौलत ही का मिलना है बड़ी चीज़ 'नज़ीर' आह
बिल-फ़र्ज़ हुई उस से मुलाक़ात तो फिर क्या
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
ख़द-ओ-ख़ाल ख़ूबी-आगीं लब-ए-लाल पाँ से रंगीं
नज़र आफ़त-ए-दिल-ओ-दीं मिज़ा सद-मुज़र्रत-अफ़ज़ा
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
चश्म-ए-मुलाक़ात उन से रखिए तू ही बता किस वज्ह 'नसीर'
ग़ैर की जानिब अबरू से वो कर के इशारे सोते हैं
शाह नसीर
ग़ज़ल
नज़र नहीं हट रही है चेहरों से दोनों की आज
कि बा'द मुद्दत के फिर मुलाक़ात हो रही है
नाज़िम ज़रसिनर
ग़ज़ल
तुम्हारे आने का जब जब भी एहतिमाम किया
तो हसरतों ने अदब से मुझे सलाम किया
सय्यद मुबीन अल्वी ख़ैराबादी
ग़ज़ल
शाम-ए-ग़म सुब्ह-ए-मसर्रत की ख़बर होने तक
जाने क्या दिल पे गुज़र जाए सहर होने तक