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ग़ज़ल
मस्त हो कर उस की ख़ुशबू से गिरा था बच गया
जब सँभलने को वो ज़ुल्फ़-ए-मुश्क-सा पकड़ी गई
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
गुलशन-ए-जाँ की पत्ती पत्ती मौज-ए-नसीम-ए-इत्र-फ़शाँ
रंग-ए-बहाराँ फूल शगूफ़े सब गुल-दस्ते आप के नाम
सीमा फ़रीदी
ग़ज़ल
दिखला न ख़ाल-ए-नाफ़ तू ऐ गुल-बदन मुझे
हर लाला याँ है नाफ़ा-ए-मुश्क-ए-ख़ुतन मुझे
शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
ग़ज़ल
इस तरह शौक़-ए-ग़ज़ालाँ में ग़ज़ल-ख़्वाँ हो ज़फ़र
शोहरत-ए-मुश्क-ए-ग़ज़ल शहर-ए-ख़ुतन तक पहुँचे
सिराजुद्दीन ज़फ़र
ग़ज़ल
न आए मुझ से क्यूँकर ख़ुशबू-ए-मुश्क-ए-हिरन आख़िर
छुआ था संदली हाथों से उस ने ये बदन आख़िर
अदनान हामिद
ग़ज़ल
पुर हैं मुश्क-ए-तीर-बख़्ती से मिरी सब दिल के घाव
जिस तरह लटके है ज़ुल्फ-ए-दिल-बराँ शानों के बीच
वली उज़लत
ग़ज़ल
हदफ़ को भूल गए साहिबान-ए-मुश्क-ए-ख़ुतन
पे आब-ओ-ताब से हैं सब ख़राब महव-ए-'अमल
ताहिर सऊद किरतपूरी
ग़ज़ल
ज़ख़्मों पे दिल के सूदा-ए-अल्मास ही छिड़क
हल कर के हो सो हो नमक-ओ-मुश्क-ए-नाब में
हकीम आग़ा जान ऐश
ग़ज़ल
आरिज़ पे सिमटे ख़ुद-ब-ख़ुद ज़ुल्फ़ों के घूँगर वाले बाल
है नाफ़ा-ए-मुश्क-ए-ख़ुतन एक इस तरफ़ एक उस तरफ़
अहमद हुसैन माइल
ग़ज़ल
न होगी दूर ग़श मेरी गुलाब-ओ-मुश्क़-ओ-अंबर से
मिरे रुख़ को तू धो ऐ गुल-बदन अपने पसीने से