आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "naaseh-o-mullaa"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "naaseh-o-mullaa"
ग़ज़ल
राज़-ए-मय-नोशी-ए-'मुल्ला' हुआ इफ़शा वर्ना
समझा जाता था वली लग़्ज़िश-ए-पा से पहले
आनंद नारायण मुल्ला
ग़ज़ल
राज़-ए-मय-नोशी-ए-'मुल्ला' हुआ इफ़शा वर्ना
क्या वो मद-मस्त न था लग़्ज़िश-ए-पा से पहले
आनंद नारायण मुल्ला
ग़ज़ल
हयात-ए-फ़ानी-ए-'मुल्ला' की लज़्ज़तों की क़सम
बला से ज़िंदगी-ए-जावेदाँ मिले न मिले
आनंद नारायण मुल्ला
ग़ज़ल
हम आजिज़ आ गए अब नासेह-ओ-मुल्ला की बातों से
जिन्हें है ख़ब्त जन्नत का उन्हें तो बस ख़ुदा पहुँचे
मजीद मैमन
ग़ज़ल
अभी ख़ाकिस्तर-ए-'मुल्ला' से उठता है धुआँ कुछ कुछ
कहीं पर कोई चिंगारी तपाँ मा'लूम होती है
आनंद नारायण मुल्ला
ग़ज़ल
कौन सा है ये मोहब्बत में मक़ाम ऐ 'मुल्ला'
कल्मा-ए-लुत्फ़ भी अब दिल पे गराँ होता है
आनंद नारायण मुल्ला
ग़ज़ल
मोहब्बत ही से खोलो तुम दिल-ए-'मुल्ला' का दरवाज़ा
यही इस के लिए अब इस्म-ए-आज़म होती जाती है
आनंद नारायण मुल्ला
ग़ज़ल
वाक़िफ़-ए-'मुल्ला' न थी बज़्म-ए-ख़िरद ये तय हुआ
हो न हो ये है किसी मशहूर दीवाने का नाम
आनंद नारायण मुल्ला
ग़ज़ल
देख क्या दाम लगाती है निगाह-ए-'मुल्ला'
कभी ऐ ग़ुंचा-ए-तर दस्त-ए-गुल-अफ़रोश में आ
आनंद नारायण मुल्ला
ग़ज़ल
ज़िक्र-ए-'मुल्ला' भी अब आता तो है महफ़िल में मगर
फीकी तारीफ़ में लिपटे हुए दुश्नाम के साथ
आनंद नारायण मुल्ला
ग़ज़ल
लब पे नग़्मा और रुख़ पर इक तबस्सुम की नक़ाब
अपने दिल का दर्द अब 'मुल्ला' को कहना आ गया
आनंद नारायण मुल्ला
ग़ज़ल
आनंद नारायण मुल्ला
ग़ज़ल
मोहब्बत तो बजा-ए-ख़ुद इक ईमाँ है अरे 'मुल्ला'
मोहब्बत करने वाले का कोई ईमाँ नहीं होता
आनंद नारायण मुल्ला
ग़ज़ल
हाए 'मुल्ला' कब मिली ख़ामोशी-ए-उल्फ़त की दाद
कोई अब कहता है कुछ उन से तो याद आता हूँ मैं