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ग़ज़ल
न पाया खोज बरसों नक़्श-ए-पा-ए-रफ़्तगाँ ढूँढे
न हो मुमकिन पता जिन का उन्हें कोई कहाँ ढूँढे
मिर्ज़ा मोहम्मद तक़ी हवस
ग़ज़ल
आप का जिस रास्ते में नक़्श-ए-पा मिल जाएगा
तालिब-ए-मंज़िल को मंज़िल का पता मिल जाएगा
महमूद नष्तरी
ग़ज़ल
राह में सूरत-ए-नक़्श-ए-कफ़-ए-पा रहता हूँ
हर घड़ी बनने बिगड़ने को पड़ा रहता हूँ