आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "navab sultan jahan begam"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "navab sultan jahan begam"
ग़ज़ल
कभी मेरी हर ख़ुशी को मिरे मेहरबाँ ने लूटा
कभी मेरी अंजुमन को मिरे पासबाँ ने लूटा
बेगम सुल्ताना ज़ाकिर अदा
ग़ज़ल
जो पाँच वक़्त मुसल्ले पे क़िबला-रू निकले
उन्हीं बुज़ुर्गों के ज़ेर-ए-बग़ल सुबू निकले
मुबारक अज़ीमाबादी
ग़ज़ल
कुछ हरम में कुछ सनम-ख़ानों में दीवाने गए
होश थे जिन के सलामत बस वो मय-ख़ाने गए