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ग़ज़ल
तड़प में भी मज़ा आने लगा है ग़म के मारों को
ख़याल-ए-सरख़ुशी बहका न दे इन सोगवारों को
साबिर अबुहरी
ग़ज़ल
क्या कशिश अल्लाह रे दुनिया-ए-आब-ओ-गिल में है
ता-अबद जीने की ख़्वाहिश हर बशर के दिल में है
साबिर अबुहरी
ग़ज़ल
आलम-ए-रंग-ओ-नग़्मा में कैफ़ बहुत सही मगर
बे-ख़ुद-ए-सैर-ए-काएनात अपनी तरफ़ भी इक नज़र
सय्यदा अख़्तर
ग़ज़ल
जो दिल से ज़मज़मा-ए-नाला-ए-सहर आए
नवेद-ए-मक़दम-ए-ईजाब-ए-पुर-असर आए
सय्यद अनीसुद्दीन अहमद रीज़वी अमरोहवी
ग़ज़ल
वो है हैरत-फ़ज़ा-ए-चश्म-ए-मा'नी सब नज़ारों में
तड़प बिजली में उस की इज़्तिराब उस का सितारों में