आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "o.dhnii"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "o.dhnii"
ग़ज़ल
गवारा कब है ममता को मिरा यूँ धूप में चलना
मिरी माँ ओढ़नी फैला के इक छाता बनाती है
साबिर शाह साबिर
ग़ज़ल
हवा से भी ज़ियादा तेज़ थी रफ़्तार-ए-उर्यानी
मगर फिर भी मिरी ख़्वाहिश थी तेरी ओढ़नी बढ़ती
मुज़दम ख़ान
ग़ज़ल
ये मैली ओढ़नी ओढ़ूँगी वो आएगा तो धो लूँगी
वो खेले धन में दौलत में अब मैं उस द्वार न जाऊँगी
शबनम शकील
ग़ज़ल
तिरी बादले की ये ओढ़नी अरे बर्क़ कौंदे नज़र में तब
करे ये घटा जो मुक़ाबला किसी पेशवाज़ के घेर से