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ग़ज़ल
बहुत बेबाक आँखों में त'अल्लुक़ टिक नहीं पाता
मोहब्बत में कशिश रखने को शर्माना ज़रूरी है
वसीम बरेलवी
ग़ज़ल
भुला पाना बहुत मुश्किल है सब कुछ याद रहता है
मोहब्बत करने वाला इस लिए बरबाद रहता है
मुनव्वर राना
ग़ज़ल
खोने और पाने का जीवन नाम रखा है हर कोई जाने
उस का भेद कोई न देखा क्या पाना क्या खोना होगा
मीराजी
ग़ज़ल
कभी पा के तुझ को खोना कभी खो के तुझ को पाना
ये जनम जनम का रिश्ता तिरे मेरे दरमियाँ है
बशीर बद्र
ग़ज़ल
अब तिरा काम है बस अहल-ए-वफ़ा का पाना
अब तिरा नाम है बस इश्क़ के ग़म-ख़ानों में