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ग़ज़ल
वो पायल पाँव में तेरे वो बिंदी तेरे माथे पर
तसव्वुर बस यही अक्सर मेरी आँखों में होता है
सुजीत सहगल हासिल
ग़ज़ल
न सोना है न चाँदी है न है कुछ मिलकियत अपनी
दरीदा पैरहन से मैं तिरी पायल बनाऊँगा
नदीम नक़्श जिवरी
ग़ज़ल
जिधर जाते हैं सब जाना उधर अच्छा नहीं लगता
मुझे पामाल रस्तों का सफ़र अच्छा नहीं लगता
जावेद अख़्तर
ग़ज़ल
वो दिल जो मैं ने माँगा था मगर ग़ैरों ने पाया है
बड़ी शय है अगर उस की पशेमानी मुझे दे दो