aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "pahnaa.iyo.n"
शब की पहनाइयों में चीख़ उठेदर्द तन्हाइयों में चीख़ उठे
सुकूत-ए-शाम की पहनाइयों सेसदा उस अजनबी की आ रही है
वो रस्ता जो तिरी तुर्बत से हो कर मुझ तलक आयावो रस्ता वक़्त की पहनाइयों में खो गया आख़िर
काटी है उम्र रात की पहनाइयों के साथहम शहर-ए-बे-चराग़ में ऐ बे-कसाँ रहे
गलियों में घूमती हैं हज़ारों कहानियाँचेहरों पे नक़्श वक़्त की पहनाइयों को देख
उतरते जाते हैं पहनाइयों में दरिया कीकि जलती शम्अ' तह-ए-आब है हमारे लिए
खोखली आँखों से मुझ को घूरती हैंदेख कर डरता हूँ मैं पहनाइयों को
साया सा इक ख़याल की पहनाइयों में थासाथी कोई तो रात की तन्हाइयों में था
अपनी दुनिया तक रखो महदूद परवाज़ें अभीनीलगूँ पहनाइयों में बाल-ओ-पर देखेगा कौन
रखते रहे न जाने किस अंदाज़ से क़दमठहरे हैं ताक़ हादिसा-पैमाइयों में हम
उट्ठा उसी से ज़ीस्त के एहसास का ख़मीरजो दर्द-ए-दिल के ज़ख़्म की पहनाइयों में था
आने वाले वक़्त ने समझा उसे अपना नक़ीबवो पर-ए-पर्वाज़ क्यों पहनाइयों में खो गया
ग़म-ए-हयात की पहनाइयों से ख़ौफ़-ज़दामैं उम्र भर रहा नाकामियों से ख़ौफ़-ज़दा
मैं अपनी ज़ात की पहनाइयों में खोया थाकिसे ख़बर कहाँ उस का गुमान आ के गिरा
कई सहरा थे मेरी प्यास की पहनाइयों मेंकिसी दरिया के तट तक आ के फिर वापस मुड़ी मैं
पानियों को भी ख़्वाब आने लगेअश्क दरिया में ज़म किया गया है
पानियों से तो प्यास बुझती नहींआइए ज़हर पी के देखते हैं
पानियों के चढ़ने तक हाल कह सकें और फिरक्या क़यामतें गुज़रीं बस्तियाँ नहीं खुलतीं
वो ज़र्द पत्ते जो पेड़ से टूट कर गिरे थेकहाँ गए बहते पानियों में बुलाए कोई
निकल गया कहीं अन-देखे पानियों की तरफ़ज़मीं के नाम खुला बादबान छोड़ गया
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