आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "paikaan"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "paikaan"
ग़ज़ल
क्या तीर-ए-सितम उस के सीने में भी टूटे थे
जिस ज़ख़्म को चीरूँ हूँ पैकान निकलते हैं
मीर तक़ी मीर
ग़ज़ल
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
बल-बे-गुदाज़-ए-इश्क़ कि ख़ूँ हो के दिल के साथ
सीने से तेरे तीर का पैकान बह गया
शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
ग़ज़ल
कहाँ आँसू के क़तरे ख़ून-ए-दिल से हैं बहम निकले
ये दिल में जम्अ थे मुद्दत से कुछ पैकान-ए-ग़म निकले
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
अदा जाफ़री
ग़ज़ल
ग़रज़ थी क्या तिरे तीरों को आब-ए-पैकाँ से
मगर ज़ियारत-ए-दिल क्यूँ कि बे-वुज़ू करते
शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
ग़ज़ल
तीर ओ पैकाँ दिल में जितने थे दिए हम ने निकाल
अपने हाथों घर लुटाना कोई हम से सीख जाए
शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
ग़ज़ल
मुझ सा बे-माया अपनों की और तो ख़ातिर क्या करता
जब भी सितम का पैकाँ आया मैं ने सीना खोल दिया
शकेब जलाली
ग़ज़ल
कोई तीर उस का दिल में रह गया था क्या कि आँखों से
अभी रोने में इक पैकान का टुकड़ा निकल आया