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ग़ज़ल
आमिर अमीर
ग़ज़ल
वो फ़रेब-ख़ुर्दा शाहीं कि पला हो करगसों में
उसे क्या ख़बर कि क्या है रह-ओ-रस्म-ए-शाहबाज़ी
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
आरज़ू लखनवी
ग़ज़ल
दिल-बस्तगी सी है किसी ज़ुल्फ़-ए-दुता के साथ
पाला पड़ा है हम को ख़ुदा किस बला के साथ
मोमिन ख़ाँ मोमिन
ग़ज़ल
नाख़ुदा मौजों में कश्ती है तो हो हम को न देख
जिन को तूफ़ानों ने पाला है वो घबराएँगे क्या
क़मर जलालवी
ग़ज़ल
ख़ुशी ने मुझ को ठुकराया है दर्द-ओ-ग़म ने पाला है
गुलों ने बे-रुख़ी की है तो काँटों ने सँभाला है
अली अहमद जलीली
ग़ज़ल
मुँह से पल्ला क्या सरकाना इस बादल में बिजली है
सूझती है ऐसी ही नहीं जो फूटने वाली आँखें हैं