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ग़ज़ल
धड़कते साँस लेते रुकते चलते मैं ने देखा है
कोई तो है जिसे अपने में पलते मैं ने देखा है
आलोक श्रीवास्तव
ग़ज़ल
हम ऐसे सूरमा हैं लड़ के जब हालात से पलटे
तो बढ़ के ज़िंदगी ने पेश कीं बैसाखियाँ हम को
अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा
ग़ज़ल
पत्थर की लकीर है नक़्श-ए-वफ़ा आईना न जानो तलवों का
लहराया करे रंगीं-शोला दिल पलटे खाना क्या जाने
आरज़ू लखनवी
ग़ज़ल
दिलों के नाख़ुदा उठ कर सँभालें कश्तियाँ अपनी
बहुत से ऐसे तूफ़ाँ 'मज़हरी' के दिल में पलते हैं
जमील मज़हरी
ग़ज़ल
तेरे हाथ में ख़ुद को दे कर नादानी कर बैठा हूँ
धूप की गोद में कब पलते हैं बेटे ठंडी छाँव के
दानिश नक़वी
ग़ज़ल
मिरी सोचें हैं कैसी कौन इन सोचों का मरकज़ है
जो मेरे ज़ेहन में पलते हैं वो अफ़्कार कैसे हैं