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ग़ज़ल
लोक परलोक पे फैल रही है यादों की चंचल ख़ुशबू
ध्यान के ठहरे सागर में किस ने फिर कंकर फेंक दिया
कृष्ण कुमार तूर
ग़ज़ल
नासिर काज़मी
ग़ज़ल
'मीरा-जी' क्यूँ सोच सताए पलक पलक डोरी लहराए
क़िस्मत जो भी रंग दिखाए अपने दिल में समोना होगा