आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "pas-e-chilman"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "pas-e-chilman"
ग़ज़ल
पस-ए-चिलमन हैं तो चिलमन को उठा ही दीजे
इस तकल्लुफ़ पे नुमाइश का गुमाँ होता है
कमाल अहमद सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
देखिए उस बुत-ए-काफ़िर के सताने की अदा
ख़्वाब में दिखता है तो भी पस-ए-चिलमन-चिलमन
रेशमा नाहीद रेशम
ग़ज़ल
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
न रहा धुआँ न है कोई बू लो अब आ गए वो सुराग़-जू
है हर इक निगाह गुरेज़-ख़ू पस-ए-इश्तिआ'ल के दरमियाँ
बद्र-ए-आलम ख़लिश
ग़ज़ल
ये जो कहा कि पास-ए-इश्क़ हुस्न को कुछ तो चाहिए
दस्त-ए-करम ब-दोश-ए-ग़ैर यार ने रख दिया कि यूँ
एस ए मेहदी
ग़ज़ल
देख लेना पस-ए-क़ातिल भी कोई होगा ज़रूर
सिर्फ़ क़ातिल ही चलाता नहीं ख़ंजर देखो
बद्र-ए-आलम ख़ाँ आज़मी
ग़ज़ल
तू है मअ'नी पर्दा-ए-अल्फ़ाज़ से बाहर तो आ
ऐसे पस-मंज़र में क्या रहना सर-ए-मंज़र तो आ