आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "patlii"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "patlii"
ग़ज़ल
खिंची कंघी गुँधी चोटी जमी पट्टी लगा काजल
कमाँ-अबरू नज़र जादू निगह हर इक दुलारी है
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
यही देखा है 'शाहिद' तीसरी दुनिया के मुल्कों में
कि अक्सर क़ौम पतली और लीडर फैट होता है
सरफ़राज़ शाहिद
ग़ज़ल
अंदाज़ा गो कर ही चुके हैं आ जाती है मुट्ठी में ये
आज मगर बे-पर्दा करेंगे देखेंगे पतली सी कमर हम
अहमद हुसैन माइल
ग़ज़ल
पतली गली की सैर से वाक़िफ़ नहीं हैं आप
होता है क्या गली का मज़ा हम से पूछिए
वहिद अंसारी बुरहानपुरी
ग़ज़ल
न जाने पतली गली से वो कब निकल लेगा
नहीं है टी बी या बी पी मगर ज़ुकाम तो है
वहिद अंसारी बुरहानपुरी
ग़ज़ल
महारत भी अगर हो जाए शामिल जज़्ब-ए-सादिक़ में
तो पतली डोर भी मज़बूत धागे काट देती है
क़ाज़ी अब्ब्दुर्रऊफ़ अंजुम
ग़ज़ल
रेशम के लच्छे हैं बाल मख़मल के टुकड़े हैं गाल
है ये नज़ाकत का हाल पतली कमर बाल है
इमदाद अली बहर
ग़ज़ल
नाज़ुक गर्दन पतली कमर थी चाल थी उस की मतवाली
आँखें नर्गिस को शरमाएँ मुखड़ा मा'सूमाना सा
खुर्शीद खावर अमरोहवी
ग़ज़ल
मुझे घर में गर्दिश है पतली की सूरत
ये एजाज़ है चश्म-ए-सेहर-आफ़रीं का