aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "pavan"
फिर सावन रुत की पवन चली तुम याद आएफिर पत्तों की पाज़ेब बजी तुम याद आए
कलेजा रह गया उस वक़्त फट करकहा जब अलविदा'अ उस ने पलट कर
मदन मस्त बदल मस्त कजन मस्त परी मस्तहुई मस्त पवन मस्त लगन मस्त परी मस्त
शाम समय लौ के झोंके भीपवन सुहानी हो जाते हैं
हम ज़ूद-फ़रामोशी के लिए बदनाम बहुत हैं फिर भी 'बशर'जब जब भी चली मदमाती पवन उड़ता हुआ आँचल याद आया
रखा कर हाथ दिल पर आह करतेनहीं रहता चराग़ ऐसी पवन में
नए मौसमों मैं ढल कर देखना थाहमें ख़ुद को बदल कर देखना था
किसी सुराग़ से कमरे में नूर उतरेगाज़रूर अँधेरों का इक दिन ग़ुरूर उतरेगा
धूप में नहाए थे रौशनी के पहरे थेफिर भी उन दरख़्तों के साए कितने गहरे थे
सुनी हर बात अपने रहनुमा कीयही इक भूल हम ने बार-हा की
उसे तुम धूप में बरसात में कोहरे में रख देखो'पवन' वो आइना है जो कभी धुँधला नहीं होता
ज़मीं को नाप चुका आसमान बाक़ी हैअभी परिंदे के अंदर उड़ान बाक़ी है
किसी ने रक्खा है बाज़ार में सजा के मुझेकोई ख़रीद ले क़ीमत मिरी चुका के मुझे
ऐ काश कभी क़ैद भी होता मिरे फ़न मेंवो नग़्मा-ए-दिल-कश कि है आवारा पवन में
रघुपति राघव राजा रामपतित पावन सीता राम
अब तर्क-ए-तअल्लुक़ का असर दोनों तरफ़ हैशर्मिंदा जो तू है तो पशेमाँ है 'पवन' भी
ज़ुल्फ़ों की तरह पहले भी बादल हसीन थेडोली पवन तो और तरहदार हो गए
क्या ज़िंदगी ने रक्खी सौग़ात मेरे हक़ मेंहर जीत उस को हासिल हर मात मेरे हक़ में
दर्द दब जाए किसी तौर न आँसू आएजज़्बा-ए-दिल पे बता किस तरह क़ाबू आए
अरमानों की नाज़ुक मालाएँ पहनाना शामों कोयाद पवन के साथ ही बहना तेरी मेरी आदत है
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