आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "peto.n"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "peto.n"
ग़ज़ल
दोश पर ईमान की गठरी हो सर हो या न हो
पेट ख़ाली हैं तो क्या पेटों पे पत्थर बाँध लो
हिमायत अली शाएर
ग़ज़ल
तहज़ीब हाफ़ी
ग़ज़ल
पीले पत्तों को सह-पहर की वहशत पुर्सा देती थी
आँगन में इक औंधे घड़े पर बस इक कव्वा ज़िंदा था