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ग़ज़ल
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
छीना था दिल को चश्म ने लेकिन मैं क्या करूँ
ऊपर ही ऊपर उस सफ़-ए-मिज़्गाँ में पट गया
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
रोकोगे तो फट जाऊँगा यारो तुम बस इतना करना
कुछ मत कहना मुझ से जब मेरी आँखों में पानी देखो
शुजा ख़ावर
ग़ज़ल
यही देखा है 'शाहिद' तीसरी दुनिया के मुल्कों में
कि अक्सर क़ौम पतली और लीडर फैट होता है