आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "phoolon ki dali she"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "phoolon ki dali she"
ग़ज़ल
खिले जाते हैं गुल मक़्तल में क्या क्या अक्स-ए-आरिज़ से
किसी की तेग़ भी फूलों की डाली होती जाती है
मेला राम वफ़ा
ग़ज़ल
उस का चलना जैसे हिलना फूलों की इक डाली का
शाख़ कमर है नाज़ुक ऐसे लहराती या खाती बल
आयाज़ रसूल नाज़की
ग़ज़ल
मेरी रातों में महके हैं जो सपनों की डाली से
रंग है इन फूलों का शामिल आज तिरे शरमाने में
मुसहफ़ इक़बाल तौसिफ़ी
ग़ज़ल
बुलबुल का उड़ाया दिल नाहक़ ये ख़ाम-ख़याली फूलों की
लेती है तलाशी बाद-ए-सबा अब डाली डाली फूलों की
नूह नारवी
ग़ज़ल
गुलचीं ने तो कोशिश कर डाली सूनी हो चमन की हर डाली
काँटों ने मुबारक काम किया फूलों की हिफ़ाज़त कर बैठे
शकील बदायूनी
ग़ज़ल
उन्हीं काँटों से जो फूलों की ज़बाँ होते हैं
कितने अफ़्साने गुलिस्ताँ के बयाँ होते हैं