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ग़ज़ल
गर ज़िद यही है साथ में चन्दू भी जाएगी
पिकनिक में मैं न जाऊँगी उस बे-हया के साथ
साजिद सजनी लखनवी
ग़ज़ल
मीट खाने का उन्हें पिकनिक में भी चस्का है क्या
कार के बॉनेट पे बैठा साथ मुर्ग़ा जाए है
टी एन राज़
ग़ज़ल
देख ले जो भी इन्हें वो छोड़ दे पीनी शराब
ये तिरी आँखें नहीं हैं एक मय-ख़ाना भी है
बिलाल सहारनपुरी
ग़ज़ल
शौक़ बहराइची
ग़ज़ल
पान जो हाथ से कल ग़ैर के तू ने खाया
पी के लोहू को ग़रज़ घूँट रहे हम जूँ पीक
इंशा अल्लाह ख़ान इंशा
ग़ज़ल
औरों के तो घर में जा कर दौड़ के पीनी आप शराब
मेरे आगे पी नहीं सकते माँग के पानी औरों से
मारूफ़ देहलवी
ग़ज़ल
मैं तो आ गया हूँ साक़ी तुझे मिलने के बहाने
मुझे मय ही गर थी पीनी तो थे सौ शराब-ख़ाने