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ग़ज़ल
तबीअत-ए-बे-नियाज़-ए-जोश-ए-वहशत हो तो सकती है
जो तुम चाहो तो बेहतर मेरी हालत हो तो सकती है
मैकश बदायुनी
ग़ज़ल
मरकज़-ए-जोश-ए-जुनूँ 'अक़्ल की तनवीर भी था
वो मिरा ख़्वाब मिरे ख़्वाब की ता'बीर भी था
काैसर परवीन काैसर
ग़ज़ल
खुली है आँख जोश-ए-इंतिज़ार-ए-यार-ए-जानी है
ब-मुश्किल दीदा-ए-ज़ंजीर ख़्वाब-ए-पासबानी है
नसीम देहलवी
ग़ज़ल
जाने कब किस के छलकने से हो दुनिया ग़र्क़-ए-आब
मेरी मुट्ठी में है दरिया साग़र-ओ-जोश-ए-शबाब
अश्क अलमास
ग़ज़ल
मौज-दर-मौज रवाँ बादा-ए-सर-जोश-ए-शबाब
आलम-ए-कैफ़ है आलम तिरी अंगड़ाई का