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ग़ज़ल
सस्ते दामों ले तो आते लेकिन दिल था भर आया
जाने किस का नाम खुदा था पीतल के गुल-दानों पर
जाँ निसार अख़्तर
ग़ज़ल
उस को पाने की कोशिश में जान तिरी हलकान है क्यूँ
दुनिया अंदर से पीतल ऊपर सोने का पानी है
मक़सूद अनवर मक़सूद
ग़ज़ल
नफ़ा नुक़सान का झंझट तो होता है तिजारत में
मोहब्बत हो तो पीतल के लिए सोना तरसता है