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ग़ज़ल
अमीर ख़ुसरो
ग़ज़ल
अहमद फ़राज़
ग़ज़ल
न पल बिछ्ड़ें पिया हम से न हम बिछड़े पियारे से
उन्हीं से नेह लागी है हमन को बे-क़रारी क्या
कबीर
ग़ज़ल
ज़िंदगी तुझ को जिया है कोई अफ़्सोस नहीं
ज़हर ख़ुद मैं ने पिया है कोई अफ़्सोस नहीं
सुदर्शन फ़ाकिर
ग़ज़ल
अक़्ल के मदरसे से हो इश्क़ के मय-कदा में आ
जाम-ए-फ़ना व बे-ख़ुदी अब तो पिया जो हो सो हो
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
ग़ज़ल
तल्ख़ियाँ बढ़ गईं जब ज़ीस्त के पैमाने में
घोल कर दर्द के मारों ने पिया ईद का चाँद
साग़र सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
ख़ुद-कुशी कर के भी बिस्तर से उठा हूँ ज़िंदा
मैं ने कल रात को जो ज़हर पिया था क्या था
क़ैसर-उल जाफ़री
ग़ज़ल
अम्बर भी नीला नीला है दरिया भी नीला नीला
उन दोनों ने ज़हर पिया हो ऐसा भी हो सकता है
सय्यद सरोश आसिफ़
ग़ज़ल
तुम भी लिखना तुम ने उस शब कितनी बार पिया पानी
तुम ने भी तो छज्जे ऊपर देखा होगा पूरा चाँद
निदा फ़ाज़ली
ग़ज़ल
बस तो चलता नहीं कुछ कह के उन्हें क्यूँ हों ज़लील
हम तो अपना ही लहू आप पिया करते हैं