आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "post"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "post"
ग़ज़ल
दर्द से दर-पर्दा दी मिज़्गाँ-सियाहाँ ने शिकस्त
रेज़ा रेज़ा उस्तुख़्वाँ का पोस्त में नश्तर हुआ
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
उर्यां चलूँ मैं क़ब्र में सोने के वास्ते
काफ़ी है मुझ को पोस्त बिछौने के वास्ते
मुनीर शिकोहाबादी
ग़ज़ल
चश्म-ए-मस्त-ए-यार का हम-चश्म लो पैदा हुआ
देखना अब पोस्त खींचा जाएगा बादाम का
मियाँ दाद ख़ां सय्याह
ग़ज़ल
ये गोश्त-पोस्त का मा'शूक़ है तो फिर 'एहसास'
ग़ज़ब कि रूह के मारे ख़ुदा की हम्द लिखें
फ़रहत एहसास
ग़ज़ल
हर्फ़ पर्दा-पोश थे इज़हार-ए-दिल के बाब में
हर्फ़ जितने शहर में थे हर्फ़-ए-ला होते गए
मुनीर नियाज़ी
ग़ज़ल
वो बरहनगी का क़सीदा कहते हुए इधर निकल आया था
मगर उस की आँखों में सत्र-पोश हया न हो कहीं यूँ न हो