आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "qaid-KHaano.n"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "qaid-KHaano.n"
ग़ज़ल
दिलों के क़ैद-ख़ानों में उमंगें फड़फड़ाती हैं
बहुत मुश्किल मिलन है फिर तो हम महसूर ही अच्छे
जिया शाह
ग़ज़ल
वो जिन के नाम पे निकलेंगी कल की ता'बीरें
किए हैं ख़्वाब मुक़फ़्फ़ल वो क़ैद ख़ानों में
आयाज़ रसूल नाज़की
ग़ज़ल
शराबें तो कलीदें हैं लहू के क़ैद-ख़ानों की
सो ताले तोड़ते हैं और दरिया जारी करते हैं
फ़रहत एहसास
ग़ज़ल
ये सफ़र मालूम का मालूम तक है ऐ 'मुनीर'
मैं कहाँ तक इन हदों के क़ैद-ख़ानों में रहूँ
मुनीर नियाज़ी
ग़ज़ल
बहार आते ही बटती हैं ये चीज़ें क़ैद-ख़ानों में
सलासिल हाथ को पाँव को बेड़ी तौक़ गर्दन को
साइल देहलवी
ग़ज़ल
''ज़बान-ए-ग़ैर से क्या शरह-ए-आरज़ू करते''
वो ख़ुद अगर कहीं मिलता तो गुफ़्तुगू करते
मुस्तफ़ा ज़ैदी
ग़ज़ल
पेट की ज़िल्लत ने बिल-आख़िर बाज़ारों नीलाम किया
इज़्ज़त जाने क़ैद थी कब से मौरूसी तह-ख़ानों में
फ़रहान हनीफ़ वारसी
ग़ज़ल
तन्हाई का भारी पत्थर एक ज़रा सा सरका है
कड़ियों की आवाज़ पड़ी है इक क़ैदी के कानों में
अदनान मोहसिन
ग़ज़ल
कोई चेहरा मुकम्मल ही नहीं तस्वीर क्या खींचें
हमारे दौर का इंसाँ कई ख़ानों में मिलता है
शायर जमाली
ग़ज़ल
कोई चेहरा मुकम्मल ही नहीं तस्वीर क्या खींचें
हमारे दौर का इंसाँ कई ख़ानों में मिलता है
शायर जमाली
ग़ज़ल
कई क़रनों के बा'द अपने किए थे पत्ते ज़ाहिर
बताया मैं ने आख़िर-कार अपने रास्ते का