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ग़ज़ल
यूँ तो वो शक्ल खो गई गर्दिश-ए-माह-ओ-साल में
फूल है इक खिला हुआ हाशिया-ए-ख़याल में
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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यूँ तो वो शक्ल खो गई गर्दिश-ए-माह-ओ-साल में
फूल है इक खिला हुआ हाशिया-ए-ख़याल में