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ग़ज़ल
तुम्हीं ने लब को बख़्शी है मता-ए-ख़ामुशी वर्ना
ज़बाँ से क़िस्सा-हा-ए-शौक़ दोहराना भी आता है
रज़ा जौनपुरी
ग़ज़ल
कह गईं राज़-ए-मोहब्बत पर्दा-दारी-हा-ए-शौक़
थी फ़ुग़ाँ वो भी जिसे ज़ब्त-ए-फ़ुग़ाँ समझा था मैं
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
अगर हंगामा-हा-ए-शौक़ से है ला-मकाँ ख़ाली
ख़ता किस की है या रब ला-मकाँ तेरा है या मेरा
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
तबस्सुम छीन लो होंटों का ख़ुशियाँ ज़ीस्त की लेकिन
मिरे अफ़्साना-हा-ए-शौक़ के उन्वान मत छीनो
सुरय्या रहमान
ग़ज़ल
वाए नाकामी कहाँ सफ़्फ़ाक ने रोका है हाथ
ज़ख़्म-हा-ए-शौक़ जब कुछ कुछ मज़ा देने लगे
यगाना चंगेज़ी
ग़ज़ल
सितारों के पयाम आए बहारों के सलाम आए
हज़ारों नामा-हा-ए-शौक़ अहल-ए-दिल के काम आए
अली सरदार जाफ़री
ग़ज़ल
जो शब-ए-फ़ुर्क़त गिरेगी दीदा-हाय-शौक़ से
वो लहू की बूँद बहर-ए-बे-कराँ हो जाएगी