आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "raahan-e-hazrat"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "raahan-e-hazrat"
ग़ज़ल
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
इन दिनों हज़रत-ए-यूसुफ़ की वो ना-क़दरी है
नहीं बुढ़िया भी ख़रीदार बुरी मुश्किल है
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
इस तरह थक के बैठ रहे हमरहान-ए-शौक़
मंज़िल भी ख़ुद कहे कि उठो तो उठा न जाए
अलीम अख़्तर मुज़फ़्फ़र नगरी
ग़ज़ल
अज़ल हो या अबद दोनों असीर-ए-ज़ुल्फ़-ए-हज़रत हैं
जिधर नज़रें उठाओगे यही इक सिलसिला होगा
जिगर मुरादाबादी
ग़ज़ल
'शुऐब' नार-ए-जहन्नम का ख़ौफ़ क्या हो उसे
जो ज़िक्र-ए-हज़रत-ए-ख़ैर-उल-अनाम करता है
शोएब अहमद ख़ान शोएब
ग़ज़ल
ज़मीन-ए-हज़रत-ए-'इक़बाल' में ये ताज़ा ग़ज़ल
हुज़ूर-ए-हज़रत-ए-'इक़बाल' मेरा नज़राना
राज़ मुरादाबादी
ग़ज़ल
है जवार-ए-हज़रत-ए-महबूब-ए-हक़ 'अकबर' की जा
जानिब-ए-जन्नत न ऐ रिज़वान इसे ज़िन्हार खींच
शाह अकबर दानापुरी
ग़ज़ल
सच है ब-क़ौल-ए-हज़रत-ए-सय्यद 'नज़ीर' आह
बन आती हैं तो होती हैं सब बातें ठीक-ठीक
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
ब-क़ौल-ए-हज़रत-ए-'हातिम' 'निसार' उस वक़्त यूँ कहिए
तिरी क़ुदरत के सदक़े क्या तमाशे की ख़ुदाई है
मोहम्मद अमान निसार
ग़ज़ल
महक महक उठीं गलियाँ जो खुल गए गेसू
रियाज़-ए-हज़रत-ए-ख़ैरुल-बशर की बात न कर