आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "raam ji ka dukh ibr"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "raam ji ka dukh ibr"
ग़ज़ल
हैं रवाँ उस राह पर जिस की कोई मंज़िल न हो
जुस्तुजू करते हैं उस की जो हमें हासिल न हो
मुनीर नियाज़ी
ग़ज़ल
वो हुस्न जिस को देख के कुछ भी कहा न जाए
दिल की लगी उसी से कहे बिन रहा न जाए
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
ग़ज़ल
आज हम पर यूँ खुला गर्दिश-ए-अय्याम का दुख
जैसे खुलता है जनक-नंदिनी पे राम का दुख