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ग़ज़ल
याद दुआओं में रखोगे रस्मन कह तो देते हो
किस ने किस को याद किया है रस्मी याद-दहानी से
सय्यद सरोश आसिफ़
ग़ज़ल
जहाँ जहाँ पर क़दम रखोगे तुम्हें मिलेगी वहीं उदासी
ये राज़ कुछ इस तरह समझ लो मकाँ मिरा है मकीं उदासी
आयुष चराग़
ग़ज़ल
दिलों की बात को दिल में रखोगे तो ही बेहतर है
ज़बाँ पर आ गई तो लोग नाहक़ ही हवा देंगे
डॉ अंजना सिंह सेंगर
ग़ज़ल
कब तलक रखोगे उम्मीद-ए-करम उस बुत से तुम
है तो वो मिट्टी का लेकिन उस का दिल पत्थर का है
हैरत फ़र्रुख़ाबादी
ग़ज़ल
मुझे क्या इल्म था मेरे मुक़द्दर का सितारा
जहाँ तुम पाँव रक्खोगे वहाँ रौशन रहेगा
ग़ुलाम हुसैन साजिद
ग़ज़ल
क्या था नक़्द-ए-जाँ अपना निसार इस वास्ते तुम पर
कि बे-तक़सीर यूँ दिल में रखोगे तुम गिरह हम सीं
आबरू शाह मुबारक
ग़ज़ल
जहाँ जहाँ पर क़दम रखोगे तुम्हें मिलेगी वहीं उदासी
ये राज़ कुछ इस तरह समझ लो मकाँ मिरा है मकीं उदासी
आयुष चराग़
ग़ज़ल
ये सोच के वा'दे पे यक़ीं हम ने किया है
कुछ पास तो रक्खोगे मिरी जान ज़बाँ का
अतीक़ मुज़फ़्फ़रपुरी
ग़ज़ल
घर में अपने साथ जब रक्खोगे 'आमिर' देखना
जिस को तुम कहते हो अब रश्क-ए-क़मर कुछ भी नहीं
मुहम्मद याक़ूब आमिर
ग़ज़ल
चैन हो जाएगा दिल को मिरे अज़-राह-ए-करम
मेरी आँखों पे रखोगे जो क़दम क्या होगा