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ग़ज़ल
चेहरा लाला-रंग हुआ है मौसम-ए-रंज-ओ-मलाल के बाद
हम ने जीने का गुर जाना ज़हर के इस्तिमाल के बाद
ज़फ़र गोरखपुरी
ग़ज़ल
एहतिशामुल हक़ सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
न कोई ख़्वाहिश न कोई हसरत न कोई रंज-ओ-मलाल मुझ को
रुला रहा है कई दिनों से न जाने किस का ख़याल मुझ को
नुसरत अतीक़ गोरखपुर
ग़ज़ल
कसरत-ए-जौर-ए-यार से सब हैं ये मेरे जुज़्व-ए-तन
सोज़-ओ-मलाल-ओ-यास-ओ-दर्द रंज-ओ-ग़म-ओ-मेहन हूँ मैं