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ग़ज़ल
दम-ए-आमदन है उस का दम-ए-वापसीं है मेरा
जो सफ़र मैं कर रहा हूँ वो सफ़र नहीं है मेरा
इक़तिदार जावेद
ग़ज़ल
वाबस्ता-ए-दाम-ए-होश-ओ-ख़िरद हंगामा-ए-वहशत करना है
ता'मीर के रंगीं फूलों से तख़रीब का दामन भरना है
क़ाज़ी सय्यद मुश्ताक़ नक़्वी
ग़ज़ल
मौसम-ए-गुल साथ ले कर बर्क़ ओ दाम आ ही गया
यानी अब ख़तरे में गुलशन का निज़ाम आ ही गया
शकील बदायूनी
ग़ज़ल
मक़्दूर नहीं हम को फ़र्त-ए-दम-ए-जौलाँ पर
कर देंगे निछावर जाँ हम 'इश्वा-ए-सामाँ पर
डॉ. हबीबुर्रहमान
ग़ज़ल
दाम-ए-ख़याल-ए-ज़ुल्फ़-ए-बुताँ से छुड़ा लिया
क्या बाल बाल मुझ को ख़ुदा ने बचा लिया
सफ़ी औरंगाबादी
ग़ज़ल
वो तलव्वुन-ए-दम-ए-होश था कभी कुछ बने कभी कुछ बने
ये जुनून-ए-इश्क़ की शान है जो बना दिया सो बना दिया
आले रज़ा रज़ा
ग़ज़ल
हम भी कुछ देर को चमके थे कि बस राख हुए
सच तो ये है कि रम-ओ-रक़्स-ए-शरर ही कितना
फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी
ग़ज़ल
ब-ज़ाहिर उस के लबों पर हँसी रही लेकिन
दम-ए-विदाअ' वो दर-पर्दा बे-क़रार भी था
सय्यदा शान-ए-मेराज
ग़ज़ल
जोश-ए-गिर्या ये दम-ए-रुख़्सत-ए-यार आए नज़र
अब्र-ए-जोशाँ का बँधा जैसे कि तार आए नज़र