aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ridaa"
रात को दे दो चाँदनी की रिदादिन की चादर अभी उतारी है
सब लोग सवाली हैं सभी जिस्म बरहनाऔर पास है बस एक रिदा दें तो किसे दें
मरहला कोई जुदाई का जो दरपेश हुआतो तबस्सुम की रिदा ग़म को ओढ़ा ली मैं ने
बे-हिजाबी से तिरी टूटा निगाहों का तिलिस्मइक रिदा-ए-नील-गूँ को आसमाँ समझा था मैं
तारा कोई रिदा-ए-शब-ए-अब्र में न थाबैठा था मैं उदास बयाबान-ए-यास में
रूप के जोत ज़ेर-ए-पैराहनगुल्सिताँ पर रिदा-ए-शबनम है
अब्र उट्ठे तो सिमट जाऊँ तिरी आँखों मेंधूप निकले तो तिरे सर की रिदा हो जाऊँ
हमें सर-कशी से मुक़द्दरों को बदलना आया नहीं अभीमगर ऐसा करना मोहब्बतों में रिदा न हो कहीं यूँ न हो
रिदा के साथ लुटेरे को ज़ाद-ए-रह भी दियातिरी फ़राख़-दिली मेरे वीर ऐसी थी
जो वा किया भी दरीचा तो आज मौसम नेपहाड़ ढाँप दिया अब्र की रिदा दे कर
सरक गए थे जो आँचल वो फिर सँवारे गएखुले हुए थे जो सर उन पे फिर रिदा आई
ग़ज़ल के भेस में आई है आज महरम-ए-दर्दसुख़न की ओढ़े हुए है रिदा उदासी है
गर्द-बाद-ए-वफ़ा से पहले तकसर पे ख़ेमा भी था रिदा भी थी
ज़ुल्फ़ों को बे-ख़ुदी की रिदा में लपेट देसाक़ी पए-शबाब कि मौसम ख़राब है
जब निकलती है निगार-ए-शब-ए-गुलमुँह पे शबनम की रिदा होती है
ये मेरा दामन-ए-सद-चाक ये रिदा-ए-बहारयहाँ शराब के छींटे वहाँ गुलाब के फूल
तेरे ग़म को ये बरहना नहीं रहने देतीमेरी आँखों पे जो अश्कों की रिदा आती है
रिदा-ए-ज़ख़्म हर गुल-पैरहन पहने हुए हैजिसे देखो वही चुप का कफ़न पहने हुए है
सर को छुपाऊँ अपने कि पैरों को ढाँप लूँछोटी सी थी रिदा तो मुझे सोचना पड़ा
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