आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "ruKH-e-munavvar"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "ruKH-e-munavvar"
ग़ज़ल
किया है तुम ने 'मुनव्वर' किसी का ख़ाना-ए-दिल
ये क्या सितम है कि तुम रू-ए-इल्तिमास रहो
मुनव्वर जहाँ मुनव्वर
ग़ज़ल
कुँवर महेंद्र सिंह बेदी सहर
ग़ज़ल
रुख़-ए-गीती का ग़ाज़ा ख़ाक है इन ख़ुश-निहादों की
वजूद-ए-अहल-ए-दिल अहल-ए-ज़माना पर गराँ क्यूँ हो
मुनव्वर लखनवी
ग़ज़ल
उफ़ रे ये जज़्बा-ए-ख़ुद्दार 'मुनव्वर' की नुमूद
इक 'अजब शान का शा'इर ये सुख़न-दाँ निकला
मुनव्वर लखनवी
ग़ज़ल
'मुनव्वर' मुझ पे शाम-ए-यास ग़ालिब आ नहीं सकती
कि हर उम्मीद से होता है इक रंग-ए-सहर पैदा